मुरली धर



श्री कमलेश झा

मुरली और सुदर्शन का

सामंजस्य दुनिया को बता डाला।

जब मुरली की जग को जरूरत

 जग को मुरली राग सुना डाला ।।


जब जब धर्म पड़ा था संकट में तो 

सुदर्शन चक्र भी चला डाला ।

दुष्ट और दंभी दानव को

उसके कर्मों का भी हिसाब डाला।।


 नाग कालिया के फन का 

मर्दन बाल पन में ही कर डाला।

जहर पूतना का पीकर 

उसको भी मुक्ति दे डाला ।।


जब बनना हो शांति दूत तो

शांति पाठ भी पढ़ा डाला ।।

जब बताना अपनी शकि तो

दिव्य रूप भी दिखा डाला।।


जब धर्म रक्षा की। बात उठे तो

गीता ज्ञान सुना डाला ।

पार्थ सारथी बनकर तुमने 

धर्म विजय करबा डाला।।



आज जरूरत पुनः पार्थसारथी की

तैयार करना होगा एक नया पार्थ।

चक्रव्यूह अब तोड़ने की जरूरत

तुड़वा दो अब चक्रव्यूह का द्वार ।।


श्री कमलेश झा

नगरपारा भागलपुर

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