डॉ मंजु सैन
मेरी परछाई…
आओ आज तुम संग अपने दिल की
बातें करती हूँ खुल कर क्योंकि मैंने
देखा जब जन भी पीछे घूम कर
तुम हमेशा ही साथ मेरे चलती रहीं
कभी आगे तो कभी पीछे पीछे रही
पर बिन तुम मैं तो कभी न रही
सब साथ छोड़ जाते है पर एक तुम
सिर्फ तुम ही तोहोजो मेरा साया बन
मेरे साथ रहती हो क्यों आखिर क्यों..?
कई बार कोशिश की रुक कर पूछने की
पूछा मैंने रूक कर तुमसे बताओगी मुझे
ऐसा क्या नाता हैं कि तुम साथ नहीं छोडती
एक बात तो बताओ,रोशनी में भी
और हर पल अंधेरे में भी साथ मेरा निभाती हो,
ओर जब मैं सो जाती हूँ तुम गुम कही हो जाती हो।
खामोश रही वो कुछ पल ओर फिर मुस्कुराई
बोली फिर नादान हो तुम कितनी क्या तुम
कुछ भी नहीं समझती सुख के सभी है भागीदार यहां
मगर दुःख के साथी न कोई इस जग में
सब नाते रिश्ते हैं बस मतलब के फिर मैं बचती हूँ
तुम्हारे साथ बस इक साया तुम्हारा ही
नाम मेरा परछाई सिर्फ तुम्हारे साथ मैं
मैं हूँ तुम्हारी अपनी परछाई
डॉ मंजु सैन
गाजियाबाद