दि ग्राम टुडे ब्यूरो
दिल्ली।महिला काव्य मंच (रजि.) उत्तरी पश्चिमी, दिल्ली इकाई द्वारा 23 अगस्त (सोमवार) को एक ऑनलाइन गोष्ठी का शानदार आयोजन किया गया। महिला काव्य मंच की उपाध्यक्ष श्रीमती नीतू सिंह राय जी आज के कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं व डिप्टी डीन दिल्ली युनिवर्सिटी - डॉ.गीता सहारे जी विशिष्ट अतिथि रहीं। श्रीमती तृप्ति अग्रवाल जी की अध्यक्षता में और इंदु मिश्रा'किरण' के संचालन में शानदार काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत कवयित्री विजयलक्ष्मी शुक्ला जी के सरस्वती वंदना से हुई।
तत्पश्चात काव्य गोष्ठी का शुभारंभ हुआ।
श्रीमती मंजू शर्मा(पश्चिमी दिल्ली इकाई)ने खूबसूरत अंदाज़ में सुंदर कविता प्रस्तुत की -"फूलों की महकी बूंद, खुशबू बन जाऊँगी"
मोनिका अरोड़ा (सह सचिव उ.प. ई)ने यह कविता सुनाई-"ज़िंदगी है इक हवा-सी, बदलती है यह अनगिनत रूप।"
सुनीता सचदेव (सदस्य उ.प.ई)
ने बहुत सुंदर कविता पढ़ी-"तुम पुरुष हो ,तुम पुरुष ही बनकर रह गए"
पूनम तिवारी (अध्यक्षा उ.पू.ई)
ने अपने ख़ूबसूरत अंदाज़ में बहुत सुंदर कविता सुनाई।जिसकी प्रभावशाली पंक्तियाँ ये थीं-
"कविता एक अविरल धारा है
जो स्वयं प्रवाहित होती है।"
पुष्पिंदरा चगती भण्डारी
(अध्यक्ष पश्चिमी दिल्ली)
ने प्रेम कविता सुनाई।शब्दों में पूरा दृश्य प्रस्तुत कर दिया।एक पंक्ति देखिये -
"चलो आज तारे बाँटते हैं
बीचों बीच उसने अपनी अंगुली से लकीर खींच दी।"
विजय लक्ष्मी शुक्ला(उपाध्यक्ष नई दिल्ली)
नजदिकियां बहुत है, मगर फासले तो हैं।
होती है गुफ्तगू ए, मगर लव सिले तो हैं।
श्यामा भारद्वाज( सह सचिव नई-दिल्ली) ने पिता शीर्षक की कविता सुनाकर सभी को वात्सल्य रस से भर दिया।जिसकी प्रभावशाली पंक्तियाँ ये थीं-
"तिनका तिनका बिखर जाये अगर निज आशियाने का,
ठिकाने की पकड़ मजबूत कर सबको बचा लाये|"
अर्चना वर्मा (सचिव पूर्वी दिल्ली इकाई) ने मुक्तक तथा कविता सुनाई।जो पंक्तियाँ बहुत बहुत सुंदर लगीं वो ये थीं -
"मन के दर्पण में जब तुम उतरने लगे,
भाव आँखों में आकर उतरने लगे।"
डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम',वरिष्ठ उपाध्यक्ष, दक्षिणी दिल्ली इकाई, महिला काव्य मंच ने सावन गीत प्रस्तुत किया -
"सखि आया है मस्त महीना-
चैन इसने हमारा छीना,
परदेसी हुए हैं सैंया-
जिया लगता हमारा कहीं ना.."
भावना भारद्वाज (महा सचिव ,दक्षिण,पूर्वी दिल्ली
ने रक्षाबंधन पर कविता सुनाई-
"राखी बन्धन नही,सूत्र हैं प्रेम का
जिसमे छिपा अपनत्व भाई बहन का"
सरिता गुप्ता ( उपाध्यक्ष, शाहदरा ईकाई) ने भाई बहन के प्रेम में डूबी कविता सुनाई-
"बचपन की सारी बातें अबतक मुझको याद है,
ऐसा लगता है ये यादें जीवन की सौगात हैं।"
कुसुम लता 'कुसुम'उपाध्यक्ष पश्चिमी दिल्ली ने बहुत ही मनमोहक ग़ज़ल सुनाई जिसका मत्तला है-
"साहिलों के दिल में भी कुछ तिश्नगी रह जायेगी,
बारिशों में जो अगर सूखी नदी रह जायेगी।"
तरुणा पुण्डीर तरुनिल सदस्य (दक्षिणी दिल्ली) ने यह खूबसूरत ग़ज़ल पेश की-
"गिरे आँखों से मेरे आँसू निरंतर
था मुश्किल जफ़ा के वो अशआर पढ़ना"
इंदु मिश्रा 'किरण'ने ये ग़ज़ल सुना कर सभी का मन मोह लिया।
"ज़ख्म दुनिया को दिखाने की ज़रूरत क्या है,
ख़ुद को अख़बार बनाने की ज़रूरत क्या है।"
इसके बाद तृप्ति अग्रवाल जी को आमंत्रित किया गया।उन्होंने अनोखे अंदाज़ में बहुत ही हृदयस्पर्शी कविता सुनाई।
"क्या स्त्री की लंबी आयु हेतु भी व्रत रखे जाएँगे?"
इसके बाद कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती नीतू सिंह राय ने अपनी बात रखी तथा बहुत ही हृदयस्पर्शी कविता सुनाई।
"न बोल पाने पर आत्मा मरने लगी
चुपचाप एक दिन कलम बोलने लगी।"
विशिष्ट अतिथि डॉ गीता सहारे(डिप्टी डीन दिल्ली विश्वविद्यालय) को आमंत्रित किया गया।उन्होंने सुंदर कविता सुनाकर सभी की मोहित कर दिया।
उनकी ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आईं-
"एक झलक पाने को उनकी
पलकें बोझिल हो गई हैं।"
सभी कवयित्रियों ने अपनी अनोखी रचनाएं सुनाकर सबको अपनी अप्रतिम प्रस्तुति से
मोहित कर दिया।भावों को बहुत सुंदर अंदाज में प्रस्तुत कर सभी ने खूब वाहवाही लूटी तो कुछ के गीतों और ग़ज़लों ने गोष्ठी में जान डाल दी।
कवयित्रियों ने मनोभावों को बड़ी ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया।इंदु मिश्रा ने बहुत सुंदर संचालन के साथ मनमोहक ग़ज़ल सुनाई।
यह काव्य गोष्ठी बड़े ही सुचारू रूप से सम्पन्न हुई।एक से बढ़कर एक रचनाओं का काव्य पाठ हुआ और उपस्थित सभी कलमकारों ने अपनी अपनी रचना से मंत्रमुग्ध कर दिया।