मीना माईकेल सिंह
अटूट बंधन है सांस की धड़कन से,
जैसे सुरभि का संबंध हो गुलशन से।
बिन देखे एक दूजे को सदा साथ चलती है,
साँसों की थमने से धड़कन मचलती है।
धड़कन का एक अजीब बंधन है शरीर से,
धड़कन के थमते ही शरीर शिथिल हो जाती है।
आत्मा-परमात्मा का अटूट बंधन है,
एक पानी है तो दूजा चंदन है।
एक दूजे के बिन पूर्ण नहीं होती जीवन की नैया,
आत्मा नैया है तो परमात्मा है खेवैया।
इस बंधन से कोई जीव मुक्त नहीं हो पाता है,
राजा हो या रंक सब को इस इस मार्ग से जाना है।
जब एक जगह ही जाना है,
तो क्यों इतना सबको दिखाना है।
मिट्टी से बनी यह सुन्दर काया,
कल मिट्टी में ही मिल जाना है।
स्वरचित-मौलिक रचना
मीना माईकेल सिंह✍️
कोलकाता