अनुपम चतुर्वेदी
सावन महीना बहुत मनभावन,
रिमझिम पड़े फुहरिया हो राम।
सब सखी मिलजुल झूलें झुलुअवा,
हथवा रचाइके मेहंदिया हो राम।
गौरीशंकर जी से लेके अशीषिया,
रखब व्रत हरियाली तिजिया हो राम।
भरपूर करके सोलह सिंगरवा,
पहिरब भरि बांह हरी-हरी चुड़िया हो राम।
पिया जी के नीक-नीक रखिहा प्रभु जी,
गौरी मैया के चढ़ाइब चुनरिया हो राम।
अपने बड़न के लागब चरनियां,
छोटन से नेहिया लगाइब हो राम।
आपस में मिलजुल जिनगी चलाइब,
बढ़ाइब पिरितिया के पेंगवा हो राम।
पिया के संग्हरियां जाइब मन्दिरिया,
मैया जी के खूब मनाइब हो राम।
सबके सुहगवा बनाए रखिहा मइया,
रचि-रचि दीहऽ अशीषिया हो राम।
अनुपम चतुर्वेदी
,सन्त कबीर नगर, उ०प्र०
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