रोशनी घर लाइए



अनुपम चतुर्वेदी

दर्द से अब उबर आइए,

जिन्दगी में संवर जाइए।


उम्मीद से ही छंटेगा अंधेरा,

रोशनी धीरे-धीरे घर लाइए।


सिर्फ प्यार से पेट भरता नहीं,

इस सोच पर कहर ढाइए।


प्रेम से भर जाती हैं झोलियां,

बस प्यार में उतर जाइए।


मां की लोरी से प्यारा कौन है?

बस प्यारे रिश्ते में ठहर जाइए।


अनुपम चतुर्वेदी, सन्त कबीर नगर, उ०प्र०

रचना मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित

मोबाइल नं-9936167676

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