" रिश्ते अनमोल होते हैं "


डाॅ० अनीता शाही सिंह 

वो रिश्ता ही क्या जिसको निभाना पड़े 

वो प्यार ही क्या जिसको जताना पड़े 

प्यार तो एक खामोश अहसास है 

वो अहसास ही क्या जिसको लफ़्ज़ों में बताना पड़े 

जो जैसा है उसे वैसा ही अपना लो 

रिश्ते निभाना आसान हो जाएगा 

पहले लोग भावुक हुआ करते थे 

रिश्ते निभाते थे 

फिर लोग प्रैक्टिकल होने लगे 

रिश्तों से फायदा उठाने लगे 

और अब लोग प्रोफेशनल हैं 

फायदा उठाया जा सके 

ऐसे रिश्ते ही बनाते हैं 

रिश्ता वो नहीं होता जो दुनियां को दिखाया जा सके 

रिश्ता वह होता है जिसे दिल से निभाया जा सके 

अपना कहने से कोई अपना नहीं होता 

अपना वो होता है जिसे दिल से अपनाया जाता है 

उँगलियाँ ही निभा रही हैं रिश्ते आजकल 

जुबाँ से निभाने का वक़्त कहाँ है 

सब टच में बिजी हैं पर टच में कोई नहीं है 

प्यार इंसान से करें, उसकी आदत से नहीं 

रूठें उनकी बातों से मगर उनसे नहीं 

भूलें उनकी गलतियों को पर उन्हें नहीं 

क्योंकि रिश्तों से बढ़कर कुछ भी नहीं 

रिश्ते अनमोल होते हैं इनका कोई मोल नहीं होता है ।।


डाॅ० अनीता शाही सिंह 

प्रयागराज


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