उपवन

  डॉ मधुबाला सिन्हा

बिन मुख खोले बोल गया सब

नैनों की मर्यादित भाषा

जीवन-घन सहज अनुग्रहित

जगा गया जीवन में आशा


पल-पल याद वही है आता

है तुमने जो समझाया

पथ के काँटे चुन चली मैं

है राह तूने जो दिखलाया


कभी अकेले घूमता मन था

आज साथी है साथ चला

कभी नहीं यह साथ छूटा था

मन यह आस है पाल चला


उपवन भरा भौरें और तितली

मन को कभी लुभाया ना

जो तू साथ मिला जीवन में

उनको कभी अपनाया ना


भर्मित नहीं मन की ज्वाला

पथिक यह भी बतला जाना

हो जिस राह क़दम बढ़वाया

उस पर साथ ले तुम जाना

         ★★★★★

© डॉ मधुबाला सिन्हा

मोतिहारी,चम्पारण

6 जुलाई 2021

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
पीहू को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
ठाकुर  की रखैल
Image
कोरोना की जंग में वास्तव हीरो  हैं लैब टेक्नीशियन
Image