ऊँगली उठाते है मुजमे सवाल मेरी काबिलियत पे करते है!
है वो खुद कुछ नहीं हम पे सवाल करते है,दिखाता रहूँगा सच तुझे चाहे मिले मुझे शाप तेरा!
हो नहीं सकता गलत मेरा ना तू कुछ कर सकता है!
क्योकि मैं ही जानू पुण्य-पाप मेरा!
कर्म जैसे हो फल वैसे ही मिलता है जीवन में!
नहीं करता गलत काम क्योकि नहीं चाहता हो जीवन मेरे लिये अभिशाप मेरा!
दंड कुछ मिलेगा नहीं मुझे कर्म मैं अपने जानता हुँ!
मैं ही जानू पुण्य -पाप मेरा!
रास्ता सफलता का बहुत ही मुश्किल है!
मेहनत से आगे बड़ूँगा हक़ नहीं खायूँगा किसीका क्योकि नहीं चाहता हो शर्मिंदा परिवार मेरा!
ऊँगली नहीं उठा सकता मुझपर कोई सही काम करता हुँ हमेशा से!
मैं ही जानू पुण्य -पाप मेरा!
आगे बढ़ता रहूँगा कामयाबी कदम चूमेगी मेरे!
नफ़रत करते है मुझसे जो कामयाबी से जलाना है काम मेरा!
तुम जलो मैं आगे बढ़ता रहूँगा जीवन में, भगवानजी भी साथ है और दंड नहीं मिलेगा मुझे !
क्योकि मैं ही जानू पुण्य -पाप मेरा!
©kalamkaar
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