चुपके से

डाॅ० पुनीता त्रिपाठी

पवन पुरवइया घुंघुटा उड़ा जाती है |

यादों में प्रिय के गोरी खो  जाती है||१||


 पपीहा से मिलने स्वाति बरस जाती है|

ऐसे हँसकर मुश्किलें हल हो जाती है||२||


अपनी हैं, कभी  गैरों सी हो जाती है |

हमारी बेबसी ही हम पर रो जाती है ||३||


दबे पांव  चुपके ही  से  आ  जाती है |

जिन्दगी ही है रुला के हंसा जाती है ||४||


  स्वरचित__ डाॅ० पुनीता त्रिपाठी

 शिक्षिका,  महराजगंज उ. प्र.

Popular posts
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
सफेद दूब-
Image
भिखारी ठाकुर [ 1887 - 1971 ] महान लोक गायक : जयंती पर विशेष
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं लखीमपुर से कवि गोविंद कुमार गुप्ता
Image