वीरांगना झाँसी की रानी

 मुक्तक 



डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'


चढ़कर घोड़े पर लड़ी

              वह रानी लक्ष्मीबाई थी।

अंग्रेजों से लड़ती रही

           कभी न हिम्मत हारी थी ।

लड़ती रही अंतिम सांस

            छबीली दुलारी पिता की।

मुँह की खानी पड़ी गोरो को

         खूब लड़ी मर्दानी थी ।।1।।


रण भूमि में झाँसी की रानी

         बढ़कर प्रबल प्रहार किया ।

स्वतंत्रता विगुल बजाकर

        परतंत्रता वहिष्कार किया ।

राजा गंगाधर से व्याही

           झांसी की रानी कहलायीं।

दुर्गा, काली बन मर्दानी

           रण में भीषण संहार किया ।।2।।


*डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'*✍️

    मुम्बई

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