गरीब
देखा एक फटेहाल गरीब तो नोट 10रू का उसको मै थमाकर चला गया,
बदले मे वो लाखो रूपये की दुआएं मुझको देकर चला गया!
अजीब कशमकश मे हूं कि गरीब वो था या मै!
मजबूर था पैसे की कमी से वो पर दिल का कितना अमीर था ये वो बता कर चला गया!
नही तो आज वो जमाना है जहां लोग आग से नही तरक्की से दूसरो की जलते है,
कही दूर नही जरूरत जाने की,यहां तो आस्तीन मे ही सांप पलते है!
कुछ देने के लिए बैंक बैलेंस बडा हो ना हो दिल बडा जरूर होना चाहिए ,
आज वो एक नया सबक मुझको सिखाकर चला गया!
अजीब कशमकश मे हूं कि गरीब वो था या मै!
मिट्टी जैसा शरीर
अकेले आए थे अकेले है और अकेले ही चले जाना है,
मत कर गुमान इस मिट्टी जैसे शरीर का, अंत मे इसको भी मिट्टी मे मिल जाना है!
करता चल कुछ कर्म ऐसे जो तेरा साथ निभाए मृत्युपर्यंत तक,
संसारी रिश्ते है साथ तेरे, बस सांसो के अंत तक,
ले ले हरदम नाम प्रभु का,संग तेरे यही जाना है!
मत सोच कभी कि करके गलत कर्म तू बच जाएगा,
सबका लेखा जोखा रखने वाला फैसला तेरा सुनाएगा!
जब चलेगा मुकदमा अदालत मे उसकी,बचकर तब नही कही जाना है,
उधार अब भगवान भी रखता नही,इस जन्म का इसी जन्म मे भुगत कर जाना है!
ले ले हरदम नाम प्रभु का, साथ तेरे बस यही जाना है!
बादल और बारिश
बादल और बारिश का बहुत ही गहरा नाता है,
बादल और बारिश भी मन और आंसू की तरह है,
जब बादल भर भर आता है तो वह बारिश लाता है,
जब मन भर भर आता है तो वह आंसुओ का समंदर लाता है!
मन का गुबार निकालने को कभी कभी रोना भी जरूरी है,
इसी तरह बादलो के छटने के लिए बारिश का होना भी जरूरी है!
बारिश हो जाने से मौसम खुशनुमा हो जाता है,
इसी तरह आंसुओ का सैलाब आने से मन हल्का हो जाता है!
इसलिए बादल की तरह गरजते रहो और बारिश की तरह बरसते रहो!
पिता एक उम्मीद
माता पिता भगवान की एक अनमोल धरोहर हैं,
दोनो एक दूसरे के पूरक हैं!
माता ख्वाहिश पूरी करने वाली एक पोटली है,
पिता पर तो दुनिया ही सारी टिकी है!
माता ने उंगली पकड कर चलना सिखाया,
तो पिता ने हमेशा सही राह पर चलना बताया!
कीमत पूछो उनसे मां बाप की, जिन्होने बिना उनके उम्र सारी गुजारी है!
नाउममीदो के दौर मे पिता एक उम्मीद आखिरी है!
अपनी इच्छाओ को दबाकर हमारी छोटी से छोटी ख्वाहिश को पूरा करने वाला प्रहरी है!
कुछ दे ना दे प्रभु एक बच्चे को,पर एक मां का आँचल और पिता रूपी छत जरूरी है!
क्या करू वर्णन एक पिता का,अंत मे बस इतना ही कहूँगी कि मां ने रखा नौ महीने कोख मे,तो पिता ने सारी उम्र उसके भविष्य को दिमाग मे अपने रखा!
अतुल्य प्रेम पिता का!
श्वेता अरोडा