खुद को रखों अपडेट

 


मुकेश गौतम

               (दोहे)

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मास्क मुँह से हटा दिया,मिली क्या थोड़ी छूट।

मानों विपदा जा चुकी,वापस अपने रूठ।।

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थाना चौकी देख कर ढक लेते हैं कान।

बीमारी का डर कहाँ,डर कोरा चालान।।

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नियम धर गयें ताक में,फिर से होती चूक।

रायचन्दों की राय से,समझदार भी मूक।।

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टीकें पर भी टिप्पणी,करतें हैं कुछ लोग।

उनका कमियाँ ढूँढना,बना मानसिक रोग।।

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संकट अब भी थमा नहीं,थोड़ा लिया विराम।

सावधान रहकर हमें,करना हैं हर काम।।

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सुरक्षा का ही कवच हैं,यह टीकें का डोज।

वायरस से लड़ने को,पैदा करता फौज।।

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सजग रहों हर मोड़ पर,कठिन दौर है यार।

जब तक पूरा ना रुकें,यह अदृश्य प्रहार।

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खुद को अब खुद ही रखें,खुद के लिए अपडेट।

काम जरूरी हो तभी,खोलें घर का गेट।।

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                        रचनाकार

                     -मुकेश गौतम

                  ग्राम डपटा बूंदी(राज)

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