महंत से मुख्यमंत्री तक का सफर

  मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के जन्मदिवस पर विशेष





रवि कुमार दुबे     

योगी आदित्यनाथ प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर गोरखपुर के महन्त तथा राजनेता हैं एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं। इनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गांव के एक गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ था। योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है। इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट है जो कि एक फॉरेस्ट रेंजर थे और इनकी माता का नाम सावित्री देवी है। अपने माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहन व एक बड़े भाई हैं और इसके बाद ये पांचवें थे एवं इनसे छोटे दो भाई हैं।

योगी आदित्यनाथ ने 1977 में टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू की व 1987 में यहां से दसवीं की परीक्षा पास की।

सन 1989 में ऋषिकेश के श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज से इन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की।

सन 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े।

सन 1992 में श्रीनगर के हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से इन्होंने गणित में बीएससी की परीक्षा पास की।

योगी आदित्यनाथ 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने गोरखपुर आए एवं गोरखपुर प्रवास के दौरान ही महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए जो इनके पड़ोस के गांव के निवासी और परिवार के पुराने परिचित थे। अंततः ये महंत अवैधनाथ जी की शरण में ही चले गए और दीक्षा ले ली। महंत अवैधनाथ भी मुलरूप से उत्तराखंड के ही निवासी थे।

सन 1994 में ये पूर्ण संन्यासी बन गए, जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया।

अजय सिंह बिष्ट के योगी आदित्यनाथ बनने के पहले लोगों को इनके बारे में ज्यादा जानकारी नही था।

गोरखनाथ मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है. मकर संक्राति पर हर धर्म और वर्ग के लोग बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं. महंत दिग्विजयनाथ ने इस मंदिर को 52 एकड़ में फैलाया था. उन्हीं के समय गोरखनाथ मंदिर हिंदू राजनीति के महत्वपूर्ण केंद्र में बदला, जिसे बाद में महंत अवैद्यनाथ ने और आगे बढ़ाया।

गोरखनाथ मंदिर के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवैद्यनाथ ने योगी को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया. जिस गोरखपुर से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे, उसी सीट से योगी 1998 में 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुँच गए.

पहला चुनाव वह 26 हज़ार के अंतर से जीते, पर 1999 के चुनाव में जीत के बाद उन्होंने निजी सेना के रूप में हिंदू युवा वाहिनी (हियुवा) का गठन किया, जिसे वह 'सांस्कृतिक संगठन' कहते हैं और जो 'ग्राम रक्षा दल के रूप में हिंदू विरोधी, राष्ट्र विरोधी और माओवादी विरोधी गतिविधियों को नियंत्रित करता है।

हिंदू युवा वाहिनी के इन कामों से गोरखपुर में उनकी जीत का अंतर बढ़ने लगा और साल 2014 का चुनाव वह तीन लाख से भी अधिक वोट से जीते।

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया।

19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री पद सौंपा गया।

तब से लेकर आज तक योगी जी तमाम राजनीतिक विरोधों का सामना करते हुए देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपने दायित्यों का निर्वहन कर रहें है।


*लेखक/साहित्यकार

रवि कुमार दुबे      

 रेनुसागर-सोनभद्र-231218

मो.- 8573001630

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