डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'
खत पढ़कर मुझे बहुत सुकून मिला
खत्म हो गया अब मन का गिला
तुम मेरे हृदय के सरताज हो
तभी मन से मन बार बार मिला ।1
मौन में जबाब की तलाश किजिये
हर गलत बात नज़रअंदाज़ किजिये
खत मुझे दिये अब मैं समझ गयी
अब प्यार से दिवस सुरुवात किजिये ।2
प्रियतम तुम्हारे याद में दिवानी हो गयी
लोग कहते है अब मुझे मस्तानी हो गयी
भेजी हूँ लिखकर पाती उसका जबाब दो
कब से निहारु राह नयन वारि वारि हो गयी ।3
*कुंडलिया*
पाती लिखकर प्रियतमा, भेजे प्रियतम पास ।
घर आ जाओ साजना, मन हो रहा उदास ।
मन हो रहा उदास, विरह की अग्नि जलायें ।
मन की गति गम्भीर, उसे कैसे समझाये ।
'रीत' रही समझाय, विवशता क्यू हो लाती ।
लिख दो दिल की बात, पढ़ेंगे प्रियतम पाती ।।
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