कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
अब छेड़ी सरगम फूलों ने
ख़्वाबों में खोई मीठी नींदे
के पहली बारिश है ------
अहसास कराती तेरी बातों का
मीठी यादों कातेरे जज्बातों का
मन के बादल मन में उमंग भरे
के पहली बारिश है ---------
तू हीं पूरित है अब मेरे जीवन में
गूंजे आवाज तेरी हरपल मेरे मन में
तू हीं प्रेम मेरा अनुभूति करें
के पहली बारिश है ------------
सरक गया रात में घुंघट चाँद मुस्कुराया
उस पल तेरा चेहरा याद बहुत आया
बहके है कदम पुरवाई के
के पहली बारिश है ---------------
जाग उठी अजब ख्वाहिशे ले अंगड़ाई
सोंधी सोंधी ख़ुशबू मिट्टी से आयी
नव प्रेम में नवल रंग भरे
के पहली बारिश है ----------------
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कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
उत्तरप्रदेश
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