डॉ उषा किरण
बेचैनी को जो दे करार तुम वही बात करो।
हों लब खामोश निगाहों से मुलाकात करो।
न जाओ कहीं अब दूर नजर से दिलवर,
हर एक पल को मेरे वस्ल की रात करो।
गूँजने दो कोई नगमा खामोशी में भी,
इस कदर इश्क में अपने ख्यालात करो।
कुछ कहती सी लगे चाँदनी रातें अक्सर,
रहो न दूर इश्क की शबनमी बरसात करो।
है ये गेसुओं की छाँव बस तेरे लिए 'उषा '
बंदगी हो हर पल को रौनक-ए-हयात करो।
डॉ उषा किरण
पूर्वी चंपारण, बिहार