ख़ुशबू के अश'आर



भुला के सब ग़म चलो गले से हयात को हम लगा के देखें

है कुछ नहीं ग़म के इस जहां में चलो ज़रा मुस्कुरा के देखें



अपने दिल में उम्मीदों का दरिया आओ भर लें हम

ज़िंदा हैं तो जीने लायक दुनिया आओ कर लें हम


ख़ुशबू पाण्डेय, लखनऊ

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