भोजपुरी अनुवाद
श्रवण यादव
बढ़त बाय अंधियार गगन में
सूरज नया उगाई जी
आसमान से दूर होय तम
जग जगमग करि जाई जी।
हिम्मत में तू पंख लगा के
नापा अब आकाश के
थाम्हि ल तू सागर क लहरी
कम करिहै जनि विश्वास के।
हम मानव चहु दिस में विजयी
जनि मन से कुम्हिलाईं जी
बढ़त बाय अंधियार गगन में
सूरज नया उगाई जी।
बड़ी कठिन छा रहल उदासी
दुख से मन अंधियार होत बा
लेकिन रात मिटी अब निश्चित
लाल रंग उजियार होत बा।
मौन भी कलरव बन जाला
भिनसारे क आस मिली हो
जगिहा तू उम्मीद काल्ह क
जैसे बनके घाम खिली हो।
नव बिहान क घोष गाई के
जग के आज जगाईं जी
बढ़त बाय अंधियार गगन में
सूरज नया उगाई जी।
पूरब ओर देख के लागत
नभ से आवत बाय किरण ।
रतिया के अन्धियार मिटे ई
हमहू त कई लिहली ह प्रण।
कर पाइब तब दर्शन जल्दी
सुबह सुबह क शोभा सुंदर
इस संसार शुभमय हो जाई
मिटी राति के सब तम गह्वर।
उम्मीद प ह दुनिया ई कायम,
वहमें पंख लगाईं जी
बढ़त बाय अंधियार गगन में
सूरज नया उगाई जी।
✍🏻 Shravan Yadav