मज़दूर तुझे सलाम

 


       नवीन "नव 'बीगोद

ईट से जो ईट मिले इमारत बनती हैं ।

कंधे से कंधे मिले ताकत बढ़ती है ।।

देश की निरंतर तरक्की जो हों रही ।

उसमें मजदूरों की मेहनत झलकती है ।।


भोर से साँझ ,चलता है वो ।

खून -पसीना ,बहाता है वो ।।

झोपड़ी में रहकर भी खुश है ।

महलों की सौगात देता हैं वो ।।


जगमगाती जो महफ़िल ये सज रही ,

इसके खातिर उनकी काया सुलगती है ।


नसीब हो उसको पुराने कपड़े ।

हमको वो देता नये -नये कपड़े ।।

चमचमाती कार चमकती सड़के ।

अरमान पूरे करता वो सबके ।।


कील से लेकर गगन चुंबी पुल तक ,

हर चीज उसकी मेहनत से बनती है ।


मेहनत ही पूजा ,काम ही खुदा है ।

मेहनत ही देश हेतु उसकी वफ़ा है ।।

उसको सताना ,अक्षम्य ख़ता है ।

संभल जा मालिक,मालिक ख़फ़ा है ।।


करलों कदर, मज़दूर की तुम ,

इनकी बदौलत दुनिया सवरती है ।

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
पीहू को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
ठाकुर  की रखैल
Image
कोरोना की जंग में वास्तव हीरो  हैं लैब टेक्नीशियन
Image