युवावस्था और एडवेंचर

राकेश चन्द्रा

युवावस्था और एडवेंचर’ दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एडवेंचर यानी की खतरों से खेलना या जोखिम मोल लेना! युवावस्था में प्रायः युवावर्ग बिना परिणाम की परवाह किये ऐसे कार्य करना चाहता है जिसे करने से पहले सामान्य व्यक्ति कई बार सोचेगा! अक्सर ऐसे कार्य अचानक ही हो जाते हैं जिन्हें करने के लिये निर्णय भी पलक झपकते हो जाता है। वैसे तो इस प्रकार के कार्यों के सम्पन्न होने पर अतीव प्रसन्नता के साथ-साथ आत्म-विश्वास में भी वृद्धि होती है और जीवन में चुनौतियों का सामना करने के लिये हिम्मत भी बढ़ती है। परन्तु यदि ऐसे करने में कहीं कोई चूक हो जाए तो जान जोखिम में पड़ जाती है और एकाएक अकल्पनीय एवं अप्रत्याशित घटना भी घटित हो जाती है! शायद इसीलिये कहा जाता है कि जोश में होश नहीं खोना चाहिये या दूसरे शब्दों में खतरे उठाते समय पर्याप्त सावधानी भी बरतनी आवश्यक है। 

इस संदर्भ में यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि प्रत्येक वर्ष नदियों, तालाबों, झील, पोखरों या समुद्र के किनारे युवा वर्ग विशेषकर छात्र-छात्राएँ पिकनिक मनाने जाते हैं और इसी एडवेंचर की तलाश में कई होनहार युवाओं की मृत्यु पानी में डूबने से हो जाती है। वस्तुतः प्रत्येक जल क्षेत्र में पूर्व-निश्चित स्थानों पर ही नहाने की व्यवस्था की जाती है। नदियों के किनारे के किनारे कच्चे-पक्के घाट बने होते हैं जहाँ सीढ़ियाँ भी बनी होती हैं। इसी प्रकार बड़े तालाबों, पोखरों में भी सामान्यतः यह व्यवस्था रहती है। इसी प्रकार समुद्र के किनारे ‘बीच’ चिन्हित किये जाते हैं जहाँ लोग समुद्र के पानी में उतरकर नहाने का आनन्द लेते हैं। इसके अतिरिक्त नदियों व जलाशयों में कहीं - कहीं इस आशय के संकेतक चिन्ह भी लगे होते हैं कि उक्त स्थान पर जल का स्तर गहरा है अर्थात् ऐसे स्थानों पर पानी में उतरना सुरक्षित नहीं है। घाट या समुद्र के किनारे ‘‘बीच’’ उन स्थानों पर चिन्हित किये जाते हैं जहाँ पानी का स्तर गहरा नहीं होता है। ये स्थान नहाने के दृष्टिकोण से सुरक्षित माने जाते हैं, पर विडम्बना यह है कि बहता हुआ पानी देखकर प्रायः लोग यह समझ बैठते हैं कि कहीं भी, किसी भी स्थान से पानी में उतरकर नहाने का आनन्द लिया जा सकता है। जबकि वास्तविकता में ऐसेा नहीं है। यही गलती प्रायः युवाओं से हो जाती है और गहराई में डूबकर उनकी मृत्यु सुनिश्चित हो जाती है। वैसे तो नगरीय निकायों का यह दायित्व है कि यथासंभव नदियों के किनारे खतरे वाले स्थानों को चिन्हित करते हुए सूचनापट लगवाना सुनिश्चित करें, पर ऐसे अनेक स्थान हैं जो नगरीय सीमा से बाहर होते हैं। अतः यह सम्भव नहीं है कि हर खतरे वाले स्थान पर संकेतक चिन्ह लगाये जा सकें। अतः उचित यह होगा कि हमें स्वयं अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि पानी में उतरने से पूर्व आस-पास के लोगों से यथासंभव जलस्तर की सम्यक जानकारी प्राप्त कर ली जाए और यदि ऐसा सम्भव न हो तो किनारे से ही बहती हुई जलधारा का दर्शन करते हुए प्राकृतिक सौन्दर्य को अनुभूत किया जाए। यह नहीं भूलना चाहिये कि भारत जैसे देश में अनेकों नदियाँ, झील, झरने एवं जलक्षेत्र हैं। जहाँ सुरक्षित स्नान हेतु पूर्व निर्धारित स्थल हैं। वहाँ अपनी इच्छा को सानन्द पूर्ण किया जा सकता है। पर एडवेंचर के नाम पर स्वयं के जीवन को खतरे में डालना कहीं से बुद्धिमानी नहीं है। युवावर्ग को यह नहीं भूलना चाहिये कि उनका जीवन अमूल्य है और उनसे देश व समाज को बड़ी अपेक्षाएँ हैं। राष्ट्र व समाज के प्रति उनके भी कुछ दायित्व हैं जिन्हें पूरा करना हर युवा वर्ग का कर्तव्य होना चाहिये। 

राकेश चन्द्रा

610/60, केशव नगर कालोनी 

सीतापुर रोड,

 लखनऊ उत्तर-प्रदेश-226020

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