एक पीली शाम
शाम तो रोज पीली होती है
आओ बात करें पीली शाम की
दो दोस्तों के प्यार की
मनुहार की
कसम खा रहे थे
पार्क में बैठे
जुदा ना होंगे
तेरी कसम
सारी उम्र रहेंगे साथ हम
प्यार की वह मीठी कसमें
मिलन की वह बातें
लग रही थी हसीन
बुन रहे थे मीठे ख्वाब
एक पीली शाम आई
जिंदगी में ऐसी
दोस्तो की दोस्ती से
हो गए जुदा
पत्ता टूटा साख से
ले गई पवन उड़ा
दो दोस्त फिर ना मिले
एक ना हो पाए
एक को ले गई
वह पीली शाम
ना आए जिंदगी में
किसी के ऐसी शाम ।
दिल की कलम
विद्यालय
भारत नया बनाना है।
जन-जन में शिक्षा का,
संचार जगाना है ।
गांव गांव और गली गली में,
एक विद्यालय बनाना है।
अनपढ़ ना कोई रहे यहां,
ये मुहिम चलाना है।
भारत नया बनाना है।
शिक्षित भारत के बच्चे होंगे,
आसमान पर परचम फहराना है।
हर क्षेत्र में उन्नत भारत होगा,
भारत नया बनाना है।
विद्यालय तुम अब बनवाओ ,
अनपढ़ को शिक्षित करवाओ।
देश में एक जागरूकता लाओ ,
यह मुहिम चलाना है ।
भारत नया बनाना है।।
दिल की कलम से
मानव मौन हो क्यू
रात प्रभु सपने में आए,
बोले मानव मौन हो क्यू?
मैंने जात पात नहीं बनाई,
तुमने उसकी आकृति बनाई ।
पूरे भेदभाव में पड़ गए ,
लहू तुम्हारा सब का लाल ।
क्या किसी का पाया है भिन्न,
और कहूं तुमसे मैं क्या ?
भेद मैंने नहीं किया ,
मैंने तो सुंदर मानव रचा।
सबको एक सा है बनाया,
तुमने मुझे अलग-अलग ,
मंदिर, मस्जिद ,गुरुद्वारे, चर्च में बिठाया ।
मैं तो एक हूं!
मैं बोला !उस परमपिता से ,
लोग पूछते तुम्हारा ईश्वर कौन ?
अलग-अलग है धर्मों को पूजते।
ईश्वर ने मुझको समझाया
देखो !अस्पताल तुम जाते ,
वहां क्या जात पात है चलता ।
बच्चों को स्कूल पढ़ाते ,
वहां क्या तुम्हें देखने जाते ।
यात्रा तुम हो करते भाई
हवाई जहाज या रेल से ,
बस से या ओटों से,
तब क्या तुम पूछ कर जाते ।
नहीं ना? तो फिर मौन हो क्यू ?
उठो जात पात मिटा दो ,
मैं हूं एक ! सबको यह बतला दो तुम!
तुम सब एक बन जाओ।
मिलजुल कर रहो प्यार से
भेदभाव तुम क्यों करते हो।
मैं तो एक निराकार हूं
सबके हृदय में वास हूं करता
क्या है जवाब तुम्हारे पास ,!
बोलो मानव मौन हो क्यू
समझो जागो सचेत हो जाओ,
हर दिल में प्रेम की ज्योत जगाओ ।
मौन न हो कुछ करके दिखाओ ,
मानव जन्म व्यर्थ न गंवाओ।।
दिल की कलम से
मधु अरोड़ा