छाया है पिता

 



डाॅ सरला सिंह "स्निग्धा"

बरगद की घनी छाया है पिता

छाँव में उसके भूलता हर दर्द। 


पिता करता नहीं दिखावा कोई 

आँसू छिपाता अन्तर में अपने।

तोड़ता पत्थर दोपहर में भी वो

चाहता पूरे हों अपनों के सपने।

बरगद की घनी छाया है पिता

छाँव में उसके भूलता हर दर्द। 


भगवान का परम आशीर्वाद है

पिता जीवन की इक सौगात है।

जिनके सिर पे नहीं हाथ उसका

समझते हैं वही कैसा आघात है।

पिता का साथ  कर देता सहज

मौसम कोई भी हो गर्म या सर्द।


पिता भी है प्रथम गुरूदेव जैसा 

सिखाता पाठ है जीवन के सही।

दिखाता है कठोर खुद को मगर

होता है कोमल नारियल सा वही।

पिता होता है ईश्वर के ही सरीखा

झाड़ता जो जीवन पर से हर गर्द। 


डाॅ सरला सिंह "स्निग्धा"

दिल्ली

Popular posts
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
परिणय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
सफेद दूब-
Image
ठाकुर  की रखैल
Image