केवट के राम
राम हृदय में प्रीति है,केवट उर विश्वास..।।
प्रीति और विश्वास से, सखा बन गया दास..।।
इधर नाव जीवन उधर, जाना चाहें पार..।।
एक दूजे के बन गए, दोंनो खेवनहार..।।
ना चाहूँ मैं मुद्रिका, उतराई मे नाथ..।।
केवट वोला राम से, अन्त मे देना साथ..।।
चरण कमल धर हाथ पर, केवट रहा है धोय..।।
धन्य धन्य पुण्यात्मा, तो सम और न कोय..।।
मुझको भी प्रभु दीजिए, भक्ति सदा निष्काम..।।
उद्धारक बन जाइए, हे केवट के राम..।।
बाल ग़ज़ल
बन्दर मामा
सारा दिन खेला करते हैं मस्त कलन्दर बन्दर मामा..।।
इस डाली से उस डाली पर लटक लटक कर बन्दर मामा..।।
चढ आते हैं कभी कभी तो छत के ऊपर बन्दर मामा..।।
और कभी तो घुस आते हैं घर के अन्दर बन्दर मामा..।।
कपडों से तो लगते हो तुम कितने सुन्दर बन्दर मामा..।।
लेकिन चेहरे से लगते हो पूरे बन्दर बन्दर मामा..।।
बया ने जब समझाया था ये बना लीजिये अपना भी घर..
तब न सुना था अब ठिठुरोगे तुम सर्दी भर बन्दर मामा..।।
हमें भी अपना दोस्त बना लो औ मीठी मीठी बात करो..
डरा रहे हो क्यों तुम हमको खीं खीं खीं कर बन्दर मामा..।।
पाठ न अपना याद किया था तभी गुरु जी के आगे..
हाथ जोड कर काँप रहे हैं थर थर थर थर बन्दर मामा..।।
पापा से लेने हैं पैसे लेकिन करें बहाना भी क्या..
बहा रहे घडियाली आँसू झर झर झर झर बन्दर मामा..।।
कहे ओम जी आओ मामा हमसे दो दो हाथ करो..
हमको क्या समझा है तुम ने खुद से कमतर बन्दर मामा..।।
समीर द्विवेदी नितान्त
कन्नौज.. उत्तर प्रदेश