बेशक कम मजदूरी होगी

 


डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"

रातों रात बदलते सपने ,बेशक कम मजदूरी होगी ।

तुमने हमको आज पुकारा,शायद कुछ मजबूरी होगी ।।

उसी आश से,उसी प्यास से ।

उसी राग विस्वास , पास से ।।

जीवन के सब साज सजादो ,मुझ बिन जीत जरूरी होगी ।

रातों रात बदलते सपने,बेशक कम मजदूरी होगी ।

किसी देश की मुद्रा बदली ।

राहत काज तवज्जो बदली ।।

गीतों के पल तुमको अर्पित,गजल रागिनी पूरी होगी ।

रातों रात बदलते सपने ,बेशक कम मजदूरी होगी ।।

गलत अर्थ दूनियाँ के देखे ।

मोल व्यर्थ सुविधा के लेखे ।।

बेहद उम्दा था वह निर्णय,थोडी-सी बस दूरी होगी ।

रातों रात बदलते सपने, बेशक कम मजदूरी होगी ।।

तुम भी मीत अकेले पढ़ लें ।

हम भी रीत प्रीत की गढ़ लें ।।

समय रिक्त असमय कह पाता,मन घायल मंजूरी होगी ।

रातों रात बदलते सपने, बेशक कम मजदूरी होगी ।।

तेरे बहुत कीमती गहने ।

तेवर समझ सके नहिं अपने ।।

भाव उदासी क्षण कोयल के,रंग राग सिन्दूरी होगी ।

रातों रात बदलते सपने, बेशक कम मजदूरी होगी ।।

राज पाट के ठाट बदलते ।

रन्कों के भी घाट मचलते ।।

शर्त बनी लाचार सरीखी,बेहद कुशल गुरूरी होगी ।

रातों रात बदलते सपने ,बेशक कम मजदूरी होगी ।।

डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"

अलीगढ़ ,उत्तर प्रदेश ।

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