रणस्थली की रक्तधारा

 



रणस्थली की रक्तधारा से , 

तुर्की ह्रदय भयाक्रांत हुआ।

स्वाधीनता हेतु मरने का , 

इस माटी का सिद्धांत हुआ।।


गढ़ चित्तौड़ की बलिवेदी में,

एक-एक राजपूत कट मरा।

जौहर-शाकों के आत्मोत्सर्ग से

पवित्र हुई ये महान धरा।।


मोहग्रस्त में हिचका चूंडावत,

हरावल का नेतृत्व करने से।

जब स्मरण हुआ उसे राजधर्म का,,

हाड़ी का कटा मस्तक देंखने से।।


सर्वोच्च स्वाभिमान के रणक्षेत्र में,

अरियों का सर्वनाश हुआ।

स्वाधीनता हेतु मरने का , 

इस माटी का सिद्धांत हुआ।।


सुमेल युद्ध मे हिली सल्तनत,

जैता-कूंपा का शोर यहाँ।

राणा की तलवार से कटकर,,

मुग़लो का टिका ठौर कहाँ।।


सन सत्तावन के महासमर में,

रणबिगुल आऊवा ने बजा दिया।

कुशाल ने फिरंगी मेसन का,,

द्वार पे शिरोच्छेद लटका दिया।।


शोर्ययुग की गाथा रचकर,

यहाँ हर गाँवो में लियोनायडस हुआ।

स्वाधीनता हेतु मरने का ,

इस माटी का सिद्धांत हुआ।।



कुँवर मनु प्रताप सिंह 

चींचडौली,खेतड़ी

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