ममता शर्मा "अंचल"
फ़िर फ़िर भूले फ़िर फ़िर हमको याद किया
कड़वा कभी कभी मीठा संवाद किया
जैसे थे हम आज तलक वैसे ही हैं
हम कैसे कह दें तुमने बर्बाद किया
यह अंदाज तुम्हारा प्यारा लगता है
खूब मिटाकर बार बार आबाद किया
जब जी चाहा कैद किया तब तब दिल मे
रूठ गए तो इक पल में आजाद किया
दिखा हमारी सूरत में शागिर्द कभी
कितनी बार हमें फिर से उस्ताद किया
कभी हमारी बात तुम्हें आदेश लगी
कभी हमारे शब्दों को फरियाद किया
मौज हुई तो झट से अनबन भी करली
और कभी इक पल में दूर विवाद किया।।।।
🙏🌹🙏ममता शर्मा "अंचल"
अलवर (राजस्थान)