जय चिरंजीवी श्री परशुराम

 भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव पर विशेष-


डॉ.अनिल शर्मा "अनिल"

 हे प्रथम पूर्ण मानव अवतार!

 शिव शंभू भक्त श्री परशुराम।

 द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रतिष्ठाता,

 स्वीकार कीजिए मम प्रणाम।।

 

धरती पर छठे अवतार प्रभु,

 बन आए रेणुका नंदन ।

भृगुकुल हो गया गौरवान्वित,

 जग करता है प्रभु का वंदन।।

कांवड़ में बिठाकर मात पिता,

को करवाया आपने तीर्थाटन।

रुग्ण, रेणुका माता हित ,

लाए औषधि अमृता तत्क्षण ।।

मात पिता की सेवा में,

 रत रहे प्रभु जी अविराम।

 द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रतिष्ठाता,

 स्वीकार कीजिए मम प्रणाम।।

 शिव शंभू को कर के प्रसन्,

उनसे वर पाया मन वांछित ।

शोषक वर्ग का किया विरोध,

 जो करता जनता को शोषित।।

 दंभी दुष्टों का किया अंत, 

 सहस्त्रार्जुन को भी संहारा।

पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण,

हर और आपका जयकारा ।।

आर्यों को दिया था संरक्षण,

दुष्टों में मचा था कोहराम ।

द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रतिष्ठाता,

स्वीकार कीजिए मम प्रणाम।।

हो प्रभु अग्रणी तुम सदैव,

 मात-पिता की भक्ति में।

 तप त्याग तपस्या धर्मवीर ,

अग्रणी आप ब्रह्म शक्ति में।।

 इस अखिल विश्व में कीर्ति प्रभु,

 होती रहती गुंजायमान।

हे चिरंजीव श्री परशुराम,

 हर लेना जन मन का अज्ञान।।

 हम पर भी कृपा करना प्रभु जी,

 जैसी पाए श्री कृष्ण-श्री राम। 

द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रतिष्ठा,

स्वीकार कीजिए मम प्रणाम।।

* डॉ.अनिल शर्मा "अनिल"

धामपुर, उत्तर प्रदेश

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