गाये हवा
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गाये हवा खुशी के गीत।
फैले जग मे यारो रीत।।
सबको ईद मुबारक हो।
कोविड की हार है जीत।।
गाये हवा.......
हँसी खुशी का हर दिन ।
सबसे बडा त्यौहार है।।
मन के सुन्दर भाव मे।
अम्बर धरा का प्यार है।।
सबको प्यार मुबारक हो।
फूलो ने महकायी प्रीत।।
गाये हवा........
पर्व का निश्चित समय नही।
इसका दिल से नाता है।।
कभी-कभी दाल रोटी मे।
ईश्वर खुदा भी हर्षाता है।।
सबको सम्मान मुबारक हो।
हर साँस मे हो संगीत ।।
गाये हवा.........
झपकती आंखो मे
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झपकती आंखो मे सपना बार-बार आ रहा है।
चाँद और सितारो का प्यार बार बार भा रहा है।।
झपकती आंखो मे ........
कभी पूरा निकला चाँद कभी आधा निकला है।
कभी जल्दी आया नजर कभी ये तो फिसला है।।
हर दिन नया हर रात नयी अन्दाज दिखा रहा है।
झपकती आंखो मे........
जिसे हम प्यार करते है वो है मन का मेहमान ।
उसके आने की तैयारी मे उठी है उमंग जवान।।
कब आयेगा कब जायेगा दिल यूँ ही गा रहा है।
झपकती आंखो मे........
प्यार राहो की धूल है दिल के गुलशन का फूल।
प्यार तो है दिल की पूजा दिल को होती कबूल।।
क्या सुबह क्या शाम हर वक्त नजर आ रहा है।
झपकती आखो मे........
अंधेरी राहो मे
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मन की अंधेरी राहो मे,आशा के दीप जलाते रहो।
प्यार की गंगा बहाओ,प्यार के साज सजाते रहो।।
मन की अंधेरी राहो मे.....
सबको सबकुछ नही मिलता,रहती है कुछ कमी ।
आसमान को व्याकुल देखा ,मिली ना उसे जमी।।
सागर की मचलती लहरो संग कदम बढाते रहो।
मन की अंधेरी राहो मे....
चलता जीवन बहता पानी प्रेम का यहाँ तराना है।
दुख सदा नही रहते सुख का भी आता जमाना है।।
रूकता नही वक्त का पहिया,प्यार निभाते रहो।
मन की अंधेरी राहो मे....
आज है गम तो कल खुशी ये प्रकृति का कहना।
डरना नही घबराना नही बस धीरज बाँधे रहना।।
नैया तुम्हारी पार लगेगी मझधार मे मुस्काते रहो।
मन की अंधेरी राहो मे....
हजारो बहाने
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गम के तो हजारो बहाने है।
चलो खुशी की वजह बनाते है।।
रखा है सबने सामान अन्दर।
थोडा -थोडा करके चुराते है।।
गम के तो.....
नया दिन है नयी है उमंग।
नया-नया फैला संगीत है।।
कल से हमको क्या लेना।
जब आज मे बसी प्रीत है।।
सपनो के हजारो दिवाने है।
चलो हँसी की वजह बनाते है।।
गम के तो.....
भूलो कल की बातो को।
जो दिल को बहुत जलाती हो।।
मन को स्थिर होने न दे।
मन को हिलाती बहलाती हो।।
दुखो के हजारो अफसाने है।
मुलाकात की वजह बनाते है।।
गम के तो......
चलते फिरते
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देखा बादलो को चलते फिरते।
मयूरा मन नाचने लगा।।
शायर का दिल हुआ गदगद।
प्यार का गीत गाने लगा।।
देखा बादलो.....
घिर घिर आये झुक झुक आये।
झूम झूम के शोर मचाये।।
इतना दिवाना हुआ है मौसम।
धूप हँसे और छाँव शरमाये।।
महकने लगा सूना आशियाना।
प्यार का मंजर भाने लगा।।
देखा बादलो.....
इन्द्रधनुष की छटा खूब चमकी।
धरती ने हँसकर किया श्रंगार।।
हरियाली ने भी बाहे पसारी।
फैलने लगा है प्यार ही प्यार ।।
टहलने लगा खुशी का ठिकाना।
चैन-ए-अमन ही छाने लगा।।
देखा बादलो.....
रँग -बिरंगे उपवन मे
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रँग -बिरंगे उपवन मे,सब फूल है कमाल के।
छाये है नीले पीले सफेद गुलाबी रंग लाल के।।
रँग बिरंगे.......
हर फूल है बडा प्यारा,सबकी महक न्यारी है।
हमको तो सबकी अदा लगती खूब प्यारी है।।
कभी हँसे मुरझाये,अपना अपना रूप दिखाये।
कुछ जमी प सोये हुए,कुछ मिले है डाल के।।
रँग -बिरंगे.......
हर फूल की अलग कहानी,गीत हर फूल का।
एक पूजा का श्रंगार,एक राही बना धूल का।।
दोनो की श्रद्धा समान,जीवन महकाना काम।
हँसो चाहे मुसकाओ,दिल रखना सम्भाल के।।
रँग -बिरंगे.........
प्यार के प्रतीक है सब,प्यार इनकी भाषा है।
आशा का संचार करे,हरते खूब निराशा है।।
प्यार है इनका कर्म धर्म, प्यार मे ही बहते है।
छोड दो या तोड दो,दिल रखा है निकाल के।।
रँग -बिरंगे.........
गम की बहती पवन,आके यहाँ थम जाती है।
भरके आँचल मे खुशबू दूर-दूर तक जाती है।।
महक है इनका जीवन दर्पण ये सिखलाते है।
केवल खुशी ना हो गम,ये साथी इस हाल के।
रँग -बिरंगे...........
क्षमा
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क्षमा का बसा लो दिल मे बसेरा।
नफरत का ना होगा फिर सवेरा।।
क्षमा का बसा लो.....
बडे दिल वालो का होता है गहना।
मेरा नही ये सब कवियो का कहना।।
हटा लो नजर से भरम का अंधेरा।
क्षमा का बसा लो.....
प्यार के सागर का गुण ये महान है।
मानवता की मिसाल व पहचान है।।
जग का ये सफर मुसाफिर का फेरा।
क्षमा का बसा लो.....
लेने देने वालो को खुशी है मिलती।
प्यार की बगिया खूब-खूब खिलती।।
सारी धरा आसमान इसका है डेरा।
क्षमा का बसा लो .....
क्षमा की बरखा मे स्वर्ग का नसा है।
ज्यादा कुछ नही बस इतना पता है।।
रहे हर दिल मे जवान ख्वाब है मेरा।
क्षमा का बसा लो.....
कदम-कदम पर जिन्दगी
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कदम-कदम पर जिन्दगी डरने लगी है।
अनजाने पथ मे पग अब धरने लगी है।।
कदम-कदम पर......
अगले पल मे क्या हो कुछ खबर नही।
यही सोच मन के थैले मे भरने लगी है।।
कदम-कदम पर......
साल दर साल माहौल बदलता रहा है।
बेचैनी की हवा सजने संवरने लगी है।।
कदम-कदम पर....
फैला है चलन जग मे यारो जलन का।
घृणा की दीवार तरक्की करने लगी है।।
कदम-कदम पर....
प्यार की भेड़चाल मिलकर सब चलाये।
मानवता दिल से खूब उतरने लगी है।।
कदम-कदम पर.....
ना चेहरे प नूर है ना दिल मे कोई खुशी।
धड़कन भी सांसो मे आह करने लगी है।।
कदम-कदम पर....
ना पूरब ने चलायी ना पश्चिम ने फैलायी।
रीत प्यार की मन से बिखरने लगी है।।
कदम-कदम पर....
एक रंगमंच
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यह दुनिया है एक रंगमंच ।
सब अपना रोल निभाते है।।
कुछ दर्द के नगमे गाते है।
कुछ प्यार के गीत सुनाते है।।
यह दुनिया है.....
किसी का रोल बहुत बड़ा है।
किसी का रोल बहुत है छोटा।।
कोई हद से ज्यादा है लम्बा।
कोई हद से ज्यादा है मोटा।।
कुछ बहुत हंसाते है।
कुछ आँसू बरसाते है।।
यह दुनिया है...
किसी का रँग है गोरा-गोरा।
किसी का रूप काला काला।।
कोई हद से ज्यादा कमजोर।
कोई अधिक है हिम्मत वाला।।
कुछ आँख दिखाते है।
कुछ नजर चुराते है।।
यह दुनिया है...
किसी के पास बहुत धन माया।
किसी के पास ना फूटी कौडी।।
कही पर छोटी सी गली है।
कही पर मिलती सडक चौडी।।
कुछ दिशा बनाते है।
कुछ पथ सजाते है।।
यह दुनिया है...
किसी का बंगला बडा ही सुन्दर।
किसी की झोपडी बडी प्यारी है।।
कोई दिल का राजा है यहाँ।
कोई भेष से बडा भिकारी है।।
कुछ सबक सिखाते है।
कुछ जीना बताते है।।
यह दुनिया है...
नयी सुबह होगी
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अंधियारो की पीर चीरकर।
उजाले को पास बुलाकर। ।
फिर निकला सूरज गगन मे।
ऐसी नयी -नयी सुबह होगी।।
पक्षी चहकायेगे जब छत पर।
कभी पेड पर और मुडेर पर।।
प्यार की धुन फैलेगी पवन मे।
ऐसी नयी- नयी सुबह होगी।।
परियो की कहानी दोहरायेगे।
उठकर सब बच्चे मुस्करायेगे।।
चहल -पहल होगी आँगन मे।
ऐसी नयी -नयी सुबह होगी।।
प्रेम के फूल सदा खिलते रहे।
आशा के दीप भी जलते रहे।।
फैलती रहे दुआ धड़कन मे।
ऐसी नयी -नयी सुबह होगी।।
अमरपाल सिंह