निर्भय शुक्ला
त्राहि त्राहि चहुओर व्याप्त है
हे नीलकंठ अब जाग उठो ना!
भयमुक्त करो अब निर्भय होके
विष पीकर कल्याण करो ना!
यह शत्रु हुआ भयहीन बहुत
हे नीलकंठ अब संघार करो ना!
भयमुक्त करो अब निर्भय होके
विष पीकर कल्याण करो ना!
हे शिव शम्भू तांडव दिखलाओ
जयजय शिव जयकार करो ना!
भयमुक्त करो अब निर्भय होके
विष पीकर कल्याण करो ना!
हे नीलकंठ मन सहमा सहमा है
दुखहारी अब उपकार करो ना!
भयमुक्त करो अब निर्भय होके
विष पीकर कल्याण करो ना!
हे महादेव शक्ति से हुंकार भरो
इस अदृश्य शत्रु से मुक्त करो ना
भयमुक्त करो अब निर्भय होके
विष पीकर कल्याण करो ना!
निर्भय शुक्ला
बड़हलगंज, गोरखपुर