पूनम शर्मा स्नेहिल
कैसा है अनमोल ये जीवन ,
हर पल जिसमें है परिवर्तन।
संग वक्त के आता है ये,
संग वक्त के जाता है ये।
एक लम्हांँ कुछ दे जाता है ये,
दूजे में कुछ ले जाता है ये ।
मिला स्वर्ण सा बचपन एक पल ,
दूजे फिर गुम जाता है ये।
कुछ खुशियांँ कुछ आंँसू लेकर ,
झोली में भर जाता है ये ।
बीते बचपन के दिन फिर ,
आया फूलों सा यौवन ये ।
दिल में कुछ वो अरमाँ बनके ,
आंँखों में कुछ सपने बनके।
पाना चाहा आसमान को ,
जीवन में कुछ बनकर के ।
दिल पर किसी ने दस्तक दी ,
बनूँ उसीकी आरजू की ।
चुटकी भर सिंदूर ने मुझको,
बाबुल का आंँगन छुड़वाया ।
छोड़कर बाबुल की बगिया,
आंँगन को उसके महकाया ।
देकर हाँथ फिर हाँथों में,
साथ किसी का मैंने पाया ।
कैसा है अनमोल ये जीवन ,
हर पल जिसमें है परिवर्तन ।।
पूनम शर्मा स्नेहिल
जमशेदपुर