वो एक एहसास है
बेटियां दूर होके भी पास है।
पापा की लाडो है ।
कामयाबी पे विश्वास है
पाल पोस कर बड़ा किया
उनका संघर्ष महान है ।
अपने आंगन में
बढ़ा कर विदा करना
कहां उनके बस में होगा
एक दिन डोली उठेगी
खुशियों की बारात देख
हर शख्स की आंखें नम होगी ।
कौन पिता चाहता
बेटी को विदा करना
जमाने की रीत के आगे
पिता भी बेबस है
शिवानी टेलर आर्या
कोटा, राजस्थान