नारी

माया शर्मा

पूजनीया हैं जगत में आदि से ही नारियाँ।

बन कुसुम महका रहीं परिवार की शुचि क्यारियाँ।


कौन सा वह क्षेत्र है जिसमें न करती काम वह।

जल-धरा आकाश में लिखती सुनहरा नाम वह।।


वह कुशल गृहणी बनी तो वह सिपाही बन खड़ी।

शिक्षिका बन ज्ञान दे उद्योग में जुड़ती कड़ी।।


आज वैज्ञानिक बनी वह शोध करती है महाँ।

देख कर उत्थान उसका गर्व करता है जहाँ।।


माया शर्मा

पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)**

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