गँगा की धारा

 

नीलम द्विवेदी

हिमालय से निकली है गँगा की धारा,

शिव ने भी जटाओं में इसको सम्हाला।


भगीरथ ने धरतीं पे इसको बुलाया,

भागीरथी ने पावन धरा को बनाया।


इसके जल ने पाप पापियों का धोया,

सुखी धरा पर बीज जीवन के बोया।


जहाँ से भी बहती वहाँ पूजा धाम बना,

 जब यमुना से मिली तो वो संगम बना।


गंगा जल के बिना हर पूजा कर्म अधूरा,

करता पवित्र ये घर का हर कोना कोना।


आज गँगा नदी को भी प्रदूषण ने छुआ,

इसको निर्मल करोगे तो पूरी होगी दुआ।।


नीलम द्विवेदी

रायपुर ,छत्तीसगढ़

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