मां का दिवस आज के दिन मां को याद करते हैं बच्चे ।
मां एक ऐसा शब्द जिसे सुनते हमारे मन में खुशी का संसार समाहित हो उठता है।
मां प्रवित्र प्रेम करूणा दया की मूर्ति है।
मां की पूजा में ही हमारे जीवन का कल्याण है।
हर साल मदर्स डे पर जो अपनी मां याद करते हैं।
उनसे मेरा निवेदन है कि सिर्फ एक दिन मां को याद नही करना है।
उस महान आत्मा जिसने 9 महीने अपने गर्भ में रखा l
कितनी दर्द पीडा दुख तकलीफ सहती रही मां।
तब तुम जन्म लिए ऐ जीवन मां की देन हैं ।
तुम को गोद में लेकर मां ने पालन पोषण किया
पढ़ाया लिखाया समाज में एक अच्छा इंसान बनाया।
उस ममता की मूरत मां की आंखों का तारा बनकर रहना।
आज दुनिया में मां ही हमारी पहली शिक्षक , गुरु हैं ।
जो अच्छे गुण ,संस्कार, आचरण सिखाती हैं। वो चाहती मेरा बच्चा सदैव खुश रहें।
जीवन में बहुत आगे बढ़े तरक्की तब मां आत्मिक खुशी होती है।
मां हमेशा अपने बच्चों का भला चाहती है।
मां ही है जिससे हम अपने दुख दर्द बांट लेते हैं।
हमारा मन हल्का हो जाता हैं मां की सलाह परामर्श से हमारे मुश्किलों का रास्ता साफ नजर आने लगता है।
लेकिन आज कल के बच्चे विवाह के बंधन में बंधकर बीबी के आते ही
अपनी मां को दरकिनार करने लगते हैं ।
उनके लिए जीवनसंगिनी सबकुछ हो जाती है।
और जिसने जन्म दिया पैदा किया आज जिसकी बदौलत दुनिया देख रहे हैं।
कुछ छोटी मोटी कहां सुनी में मां दुश्मन नजर आती है।
घर में हिस्सा बांट हो जाता हैं एक घर में दो दरवाजे दो चूल्हे हो जाते हैं।
मां के जिंदा तब सोचो उस मां पर क्या गुजरती बीतती होगी ।
तब मां को लगता है शायद इसी लिए मैंने तुझे जन्म दिया था।
कि आज मेरे जिंदा ये दिन दिखा रहा है।
तुम चार पैसे कमाकर कभी बीबी के बहकावे में आकर मां को आंखें ना दिखाना ।
मां मुझको लोरी सुनाती थी, बचपन में उंगली पकड़ चलना सिखाया मुझको खेल खिलाती थी ।
जब मैं गुस्से में छुप जाता राजा मुन्ना कहकर मुझे मनाती थी।
मां की ममता ,प्रेम ,कब बचपन मेरा बीत गया
तनिक कभी मुझे ना आभास हुआ ।
उन प्यारी सुंदर यादों को तुम अपने मन में संजोना ।
मां को कभी भूल ना जाना, दौलत शोहरत चाहे जितनी कमा लो l
दो वक्त की रोटी ,तन में कपड़ा , मां के कीर्तन का सदैव ध्यान रखना l
चारों धाम की यात्रा ना करवाना चाहे
लेकिन वृद्धा आश्रम की चाह मत रखना ।
बीबी बच्चों में डूबकर मां को बोझ मत समझना ,
आजकल कुछ बच्चे मां को अलग कर देते हैं।
उसके स्वास्थ्य का ध्यान नहीं देते
मां की सेवा नहीं करते।
वो एक बात जरूर जान
मां के कदमों में ही जन्नत है।
मां के आशीर्वाद से दुनिया में तेरा नाम है ।
मां कभी अपने बच्चे को बद्दुआ नहीं देती ।लेकिन मां की आत्मा को दुखाने वाले कभी खुश नहीं रहते।
उनसे पूछो जिनकी मां नहीं होती है।
कैसे उनके जीवन में मां की कमी खलती हैं वो कैसे जीते हैं ।
जीवन भर की मां की ममता के लिए तरसते है।
मां की याद आती है,
हर दुख दर्द में बस मां की याद आती है
आज मां होती तो हमारा जीवन बेरंग ना होता ।
कितनी रातों को मां सोई नहीं ,
हमें सुलाकर
खुद रात भर जागती रही ।
पैर में छालें पड़ गये तकलीफ सहकर काम करती हैं ।
मां के त्याग बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता ।
मां ममता की मूरत है हमारे जीवन की रक्षक है ।
मां की सेवा चरणों में हमारे चारों धाम है।
मां के साथ और आशीर्वाद से हमारा जीवन संसार फूलों सा महकता है।
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मां तुझसे मिला ऐ जीवन मुझको,
तेरी दया ऐ तेरा उपकार है ।
तेरी सेवा भक्ति में मां ऐ जीवन गुजरे,
ईश्वर से मेरी ऐ अरदास हैं।
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✍️ शैलेन्द्र पयासी ( युवा लेखक) पत्रकार
विजयराघवगढ़ कटनी मध्यप्रदेश