छंद बद्ध एक रचना....

 


साधना कृष्ण

ए भारत की रमणी,कहाँ किसी से हारी है।

आफत संकट में भी ,खुद को वो संवारी है।।


जन्म से मरण तक, केवल सुख बाँटती।

अंत समय आया तो,लगे अपनों को भारी है।।


कंकर पत्थर के मकां , वही बनाती है घर।

साफ -सफाई में मानो ,सुख चैन भी वारी है।।


होती जरा भावुक वो ,माफी जल्दी दे देती है।

मांग रही है सम्मान , अभी लड़ाई जारी है।।


मत भूलो कि वो माँ है ,पालक भी वो बनती।

समझ नहीं आता कि , क्यों जीवन दोधारी है।।



Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं प्रो आराधना प्रियदर्शिनी जी हजारीबाग झारखंड से
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं रुड़की उत्तराखंड से एकता शर्मा
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं वरिष्ठ कवियत्री नोरिन शर्मा जी दिल्ली से
Image