रश्मि मिश्रा 'रश्मि'
कभी तू राग बन करके, कभी अनुराग बन करके
प्यार की आग बन करके मेरे दिल में दहकता है
कभी अमृत का बन प्याला, कभी जैसे कोई हाला
कभी बन करके मधुशाला,जाम जैसा छलकता है!!
बसंती सी बयारों सा, तू दरिया के शरारों सा
कभी सावन घटाओं सा मेरे तन पर बरसता है।
मुझे अब प्रीत तुमसे है,मेरी हर जीत तुमसे है
मेरी सांसो की सरगम में तेरा ही साज बजता है
रश्मि मिश्रा 'रश्मि'
भोपाल(मध्यप्रदेश)