डॉ मधुबाला सिन्हा
बात हुई मुलाक़ात हुई न जाने कब
गया नहीं दिल से याद क्यों जाने अब
बंधे थे डोर से तुम जो मेरे संग में फिर
सरक गया वह अनजाना सयाना अब
रूठी थी मनाता था कोई अपना मुझको
स्वप्न हुए वह बेगानी-सी कहानी अब
खिलखिलाती बगिया थी मेरे जीवन की
छाई रहती उदासी-वीरानी-सी अब
मन का पिंजर माँग रहा ख़ैरियत की दुआ
सिसक रहा आँचल में कोई सैयाद अब
चुपके कानों में कह जाता दिल की बातें
मौत माँगता रहता है वह फ़रियाद अब
अधर खुले कम्पन करते बेबसी लाचारी
कोई नहीं आसपास सुनने वाला है अब
चलो चले बहुत जी लिए अब इस जहाँ में
मौत दुआएँ माँग रहा बलिदानी है अब,,
★★★★★★★
डॉ मधुबाला सिन्हा
मोतिहारी,चम्पारण