माँ का मातृत्व

साक्षी साहू सुरभि 

प्रकृति का अमूल्य शब्द

   प्रकृति की अद्भुत देन माँ

  पीड़ा सहकर मृत्यु से लड़कर 

      जीवन देने वाली माँ


इसके लहू से अस्तित्व पाया

  इसके तन ने नवजीवन रचाया

अंधेरे गर्भ में भी रौशनी सा छाया

   गर्भ में भी सदा सुरक्षा पाया।


इस सृष्टि पर सर्वप्रथम,

   माँ की गोद ही पाया

प्रफुल्लित था अंतर्मन

   आँखों में खुशी समाया।


माँ की छलक गई अँखियांँ

   जब मेरे अंधरों ने मुस्काया 

शीतलता की अनुभूति पाया

  जब माँ का आँचल लहराया।


जेठ की दुपहरी में छतरी बन

   माँ के आँचल ने दिया छाया

माँ ने सीने से लगाकर

   शीतलहर की ठंडकता से बचाया


छाती से सुधापान कराकर

  तन मेरा सबल बनाया

माँ का आशीष पाकर

  हर पल सुकून का बिताया।


माँ की ममता है अमूल्य निधि

   माँ ही हर जीव का आधार।

माँ के बिन न सृष्टि न ब्रम्हांड

  माँ में ही सबका का सार।


साक्षी साहू सुरभि 

महासमुंद छत्तीसगढ़

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