कवियित्री नूर फातिमा खातून "नूरी" की रचनाएं



बरसात

उमड़- घुमड़ कर बादल आये,

काले - काले बादल छाये।


कड़-कड़ बिजली कड़कने लगी,

धरती मानो फड़कने लगी,

पक्षी दुबक गए घोंसलों में,

जान आयी नयी कोंपलों में,


जामुनी से बादल गहराये,

काले - काले बादल छाये।


बादल लगे काली कमली सा ,

बगुलों की कतार रूपहली सा,

ठंडी - ठंडी बहे पुरवाई ,

खेतो में फसले लहराईं,


उदास मन को बादल भाये,

काले - काले बादल छाये।


तालाब में बर्षा की बूंदें गिरे,

हर कली, फूल, पत्ती खिले,

आम, लिची से बागीचे महके,

डाली - डाली चिड़िया चहके,


रुप बदल-बदल बादल आये,

काले - काले बादल छाये।


इंतजार


ना तन्हा महसूस करें संसार में,

रहें हमेशा खुशहाल घर बार में,

खुद को ना कभी भी परेशान करें,

नहीं कटता वक्त कभी इंतजार में।



नहीं गलतियां हजार किया करें,

 अपने आप से प्यार किया करें,

समय से पहले कुछ नहीं मिलता,

समय का इंतजार किया करें।


 नूर फातिमा खातून "नूरी" 

जिला -कुशीनगर

उत्तर प्रदेश

मौलिक स्वरचित

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