हम कैसे गुनगुनाएं
बोलो कौन सा गीत गाए
बहुत गीत है जीवन में,
कुछ दर्द भरे, कुछ प्यार भरे
कुछ खट्टे-मीठे स्वाद भरे
इंतजार की घड़ियां गिनने की
कुछ ख्वाब की कलियां चुनने की
पर जो गीत हम गा नही सकते,
वक्त ने ऐसा गीत क्यूं गाया।
जिससे नजरें भी हम मिला न सकें,
सख्स नजर में वही क्यूं आया।
बातें मुझे जिसकी भाति नहीं है ,
बार बार वही चेहरा नज़र में आया।
सोचती हूं निकल जाऊं इस शहर से ही ,
इस शहर में कोई अपना नजर नहीं आया।
आशा सिंह
मोतिहारी पूर्वी चंपारण बिहार