रेखा शाह आरबी
हे प्रभु क्या क्या
कलयुग में दिन दिखा रहे
जब तुम्हें है ताप बढ़ाना
बारिश पर बारिश करा रहे
क्या सारे नियम को
इस वर्ष बदल दिए
जेठ में बारिश तो
सावन का क्या हल दिए
बता देना उस अनुरूप
हम भी करेंगे तैयारी
आपदा में हारे थके
हम इंसान हैं भारी
मंदिरों पर ताले बंद कर
खुद तो कर रहे आराम
हमको जिंदा बचने का
दे दिए हो कठिन काम
ज्यादा आलस्य उचित नहीं
आओ कार्यभार संभालो
थोड़ी चिंताएं कम करके
हमको इससे निकालो
चहू ओर बहा देना
सुखद खुशियों के फूल
कान पकड़ते हैं प्रभु
अब ना करेंगे भूल
रात दिन करेंगे
तुम्हारी प्रकृति से प्यार
हम मनुष्यों को अपनी
गलतियां है स्वीकार
जिला बलिया उत्तर प्रदेश