ललिता पाण्डेय
गलत मत समझना
हमें तुम
अगर हम बना रहे हैं दूरी तुमसे
ये सिर्फ हमें अपना मोह नहीं
तुम्हारे जीवन का मोह
जुड़ा है हमसे।
ये दूरीयाँ ही
आज सलामती का पैगाम है
कुछ दिन की मजबूरियाँ
और बेहतरीन भविष्य का आगाज है।
ले सके कुछ सीख अब हम
तो हो परमात्मा भी प्रसन्न
दे सके नई पीढ़ी को
स्वच्छ हवा,पानी मिलकर अगर हम।
कुछ अंश वापस कर हरियाली का
माँ प्रकृति को तो शायद
कुछ सीखा हैं हमने
इस महामारी से।
ललिता पाण्डेय
दिल्ली