प्रिय था चांद

 

विनोद कुमार पाण्डेय

प्रिय था चांद 

जब मैं बच्चा था।

सुनाती थी दादी

चंदा मामा की कहानी।


प्रिय थी मिट्टी,

अक्सर लेट जाता था उस पर,

चुपके से खाता था 

उठाकर सोंधी मिट्टी।

प्रिय था वर्षा का पानी,

चलाता था कागज की नाव।

प्रिय था मेरा गांव।

खेलता था लुकाछिपी,

दौड़ता था नंगे पांव।

प्रिय थी मेरी छोटी बहन,

अक्सर चिढाता था उसे,

वह कर लेती थी सहन।

बहुत याद आता है,

मुझे मेरा बचपन।


   -- विनोद कुमार पाण्डेय

      शिक्षक (रा० हाई स्कूल लिब्बरहेड़ी, हरिद्वार)

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