कृपया सभी रखो अपना ख़्याल दोस्तों, आज नहीं कल मिलेंगे दोस्तों ।
कर लो आज गुज़ारा रूखी - सूखी में , कल मालपुआ उड़ाएंगे दोस्तों ।
अफ़वाहें तो अफ़वाहें हैं , इन पर यूं ना कान धरा करो दोस्तो ।
सबकी सोच अपनी - अपनी है ,ना किया करो किसी की सोच पर एतराज़ दोस्तों ।
क्यों बंट गया ये एक ही मुल्क था जो आज दो हिस्सों में ना करो हिन्दू-मुसलमान दोस्तों ।
कहीं खो ना दें हम किसी अपने को सदा के लिए , किसी वहम की अग्नि में ना जलो दोस्तों ।
कांटों भरी है डगर नित आगे बढ़ो , कोरोना है संकट बहुत बड़ा इससे आंख लड़ा कर लड़ो दोस्तों।
जो भुखे हैं , जो प्यासे हैं , जो दर्द और वेदना में है उन पर करूणा बरसाओ दोस्तों ।
बरसेंगे आशा के बादल , वीराना फिर से महकेगा , यूं बैठो ना हार मान कर अर्जुन से तीर चलाओ दोस्तों।
जो लड़ रहे हमारे लिए इस आपदा से उन शुरवीरों को करो दिल से सलाम दोस्तों।
क्या बिगाड़ लेगा ये कोरोना हमारा , जब इस पर पड़ेगी हमारी एकता की मार दोस्तों ।
आओ सब एक हो जाओ, साकारात्मक सोच अपनाओ, भूले-बिसरे रिश्तों की याद दोहराओ, हाथ जोड़कर करो नमस्ते अभी ना किसी के करीब जाओ, बस करो इतना पहनो मास्क रखो दो गज दूरी और प्यार से रिश्तों में अपनेपन की आक्सीजन भरते जाओ, इस कोरोना को मार गिराए।
प्रेम बजाज
जगाधरी ( यमुनानगर)