एक कलमकार के लिये रोज ही पत्रकारिता दिवस है

हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष

सूर्यकांत बेलवाल'अविरल'

 30 मई को हम पत्रकारिता दिवस मनाते हैं, जिसका एक विशेष कारण है, परन्तु देखा जाए एक कलमकार के लिये रोज ही पत्रकारिता दिवस है, चूँकि ये उसका कर्तव्य है, जो उसे विपरीत परिस्थितियों में भी निभाना है अपने कर्म के रूप में, वहाँ अर्थ के कोई मायने नहीं हैं, साधन के कोई मायने नहीं हैं/ हाँ जिस दिन सकारात्मक पत्रकारिता समाज को एक नई दिशा दिखाते हुये अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है, तो पत्रकारिता दिवस के मायने औऱ सफल हो जाते हैं, पत्रकारिता को लेकर एक बड़ा सन्देश समाज में जाता है, 

बस एक पत्रकार हरदम पत्रकारिता को सोचता है,  उसके हर नजरिये में जनहित की पत्रकारिता छिपी होती है, केवल लेख लिखकर ही जरूरी नहीं, वह विभिन्न आयामों में अपनी पत्रकारिता को प्रयोग करता है, हाँ भूखे पेट भजन नहीं होता पर ठसाठस भरपेट भोजन भी भजन में आलस्य उत्पन्न करता है, भजन से ध्यान भटकाता है, जिस तरह समाज आज कई रूपों में बदल गया है,  वैसे ही पत्रकारिता विभिन्न रूपों में, विभिन्न लोगों द्वारा संचालित हो रही है, हमें बस अपनी ओर से समाज हित में, जन परोपकारी, जन हितकारी, त्रुटिविहीन और तथ्यात्मकपरक पत्रकारिता को अपनाना चाहिए, अमर शहीद श्री गणेश शंकर विद्यार्थी व कोरोना काल में अपनी अनमोल  जिंदगी गँवाने वाले पत्रकार साथियों को विनम्र श्रद्धांजलि व नमन करते हुए आप सभी सदजनों को अविरल हार्दिक शुभकामनाएं👏

सूर्यकांत बेलवाल'अविरल'

निष्णात पत्रकारिता

सम्पादक

सोल ऑफ इंडिया समाचार 

हरिद्वार/

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