जब तुम शोला बनते हो,
तो मैं शबनम बन जाती हूँ
जब तुम अम्बर बनते हो,
तो मैं धरती बन जाती हू़ँ
जब तुम मेघ की बदरी होते हो
तो मैं बिजली बन जाती हूँ,
मेघ घिर घिर जब आतें हैं
तो तड़ककर दिखलाती हूँ,
सफर जीवन का है मुश्किल
सफर मगर मैं साथ करती हूँ
जहा़ँ तुम दिल में बसते हो
तो मैं सांसों में बसती हू़ँ,,
जब तुम मेघ बन बरसते हो,
तो मैं बिजली बन तड़कती हूँ
सफर दोनों का है मुश्किल ,
तो मैं हमदम बन जाती हूँ,
फूल कांटों में खिलता है,
तुम काँटे मैं फूल बनती हूँ
खुशबू फूल में बसती है ,
मैं वो खुशबू बन जाती हूँ ,
महकती सांसें हैं तेरी,
वो खुशबू मैं बनके रहती हूँ
धड़कता है दिल जिसकी याद,
मैं वो प्यार तेरा बन जाती हूँ
सफर दोनों का मुश्किल है
जिंदगी साथ चलती हू़ँ
समुंदर सा किनारा जीवन है
मैं वो कश्ती बन जाती हूँ।।
विमल सागर
बुलन्दशहर
उत्तर प्रदेश