महात्मा बुद्ध

अर्पना मिश्रा

सत्य की खोज थी

आवश्यक बुद्ध के लिए 

सत्य जो प्रत्यक्ष था

वो मात्र विकल्प था 


हिंसा का प्रत्युत्तर हिंसा

शक्ति का दुरुपयोग था

कुल वंश का प्रपंच

शक्ति का घमंड था


नश्वर ये प्रकृति भी

पर सदा कुछ बांटती

पंच तत्व से ही मिल

मानव रूपी कृति बनी।


राज पाट मोह माया 

सब कुछ जब मृत्य है

तो इस क्षण भंगुर जीवन में

सचमुच क्या अभीष्ट था


वन ने समझा दिया 

अंतिम सत्य बुद्ध को

वृक्ष नदियाँ फूल फल 

सबमें था सत्य छिपा ।


पंचशील के भाव 

चहुँ ओर फैलने लगे

अंगुलिमाल सम्राट अशोक

त्रिशरण में आने लगे ।


" बुद्धम्  शरणम गच्छामि "

में शाँति ,दया और मोक्ष है

यही अंतिम सत्य था

यही बुद्ध का अभीष्ट था।

★★★★★★★★★★

*अर्पना मिश्रा*

उन्नाव ( उत्तर प्रदेश)

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