पहेली

नीलम राकेश 

 जिले की श्रेष्ठ धाविका] कॉलेज को श्रेष्ठ वक्ता एक दिन शतपदी की रस्म निभा, दुल्हन का वेश धर एक नए आंगन में किसी की परिणिता बन उतर गई । एक माह तो पंख लगा कर निकल गये ।

 वह चकित थी जिस तेज चाल ने उसे अनेक मैडल दिलाये थे वही अब कटाक्ष का कारण बनने लगे । बोलने के जिस गुण ने तालियों से आकाश गुंजाया था वही अब तानों का वायस बन गया।

 ‘‘‘‘चुप कर लड़की] चुप ही नारी का गहना है । तेरी मॉं ने तुझे कुछ भी नहीं सिखाया है ।’’ जैसे जुमले नित की बात बन गए ।

 कच्ची उम्र की तरूणि इस पहेली का हल ढूंढ़ने का प्रयास करने लगी कि उसके माता-पिता उसके जिन गुणों को हर आगन्तुक को बताते नहीं अघाते थे उन्हीं गुणों को माता-पिता तुल्य सास-ससुर क्यों अवगुण की श्रेणी में रखते हैं ।

 दुनियॉं के उतार-चढ़ाव से गुजरी मॉं ने एक पल में इस पहेली का हल सुनाया । 

‘‘‘‘बेटी] तेरा बेटी से बहू बन जाना ही इस अन्तर का कारण है।’’

 चकित] ठगी सी रह गई लड़की । पहेली का हल अभी भी उसकी समझ में नहीं आया था ।

नीलम राकेश 

610/60, केशव नगर कालोनी

सीतापुर रोड, लखनऊ

 उत्तर-प्रदेश-226020,              

दूरभाष नम्बर : 8400477299

neelamrakeshchandra@gmail.com

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