जिले की श्रेष्ठ धाविका] कॉलेज को श्रेष्ठ वक्ता एक दिन शतपदी की रस्म निभा, दुल्हन का वेश धर एक नए आंगन में किसी की परिणिता बन उतर गई । एक माह तो पंख लगा कर निकल गये ।
वह चकित थी जिस तेज चाल ने उसे अनेक मैडल दिलाये थे वही अब कटाक्ष का कारण बनने लगे । बोलने के जिस गुण ने तालियों से आकाश गुंजाया था वही अब तानों का वायस बन गया।
‘‘‘‘चुप कर लड़की] चुप ही नारी का गहना है । तेरी मॉं ने तुझे कुछ भी नहीं सिखाया है ।’’ जैसे जुमले नित की बात बन गए ।
कच्ची उम्र की तरूणि इस पहेली का हल ढूंढ़ने का प्रयास करने लगी कि उसके माता-पिता उसके जिन गुणों को हर आगन्तुक को बताते नहीं अघाते थे उन्हीं गुणों को माता-पिता तुल्य सास-ससुर क्यों अवगुण की श्रेणी में रखते हैं ।
दुनियॉं के उतार-चढ़ाव से गुजरी मॉं ने एक पल में इस पहेली का हल सुनाया ।
‘‘‘‘बेटी] तेरा बेटी से बहू बन जाना ही इस अन्तर का कारण है।’’
चकित] ठगी सी रह गई लड़की । पहेली का हल अभी भी उसकी समझ में नहीं आया था ।
नीलम राकेश
610/60, केशव नगर कालोनी
सीतापुर रोड, लखनऊ
उत्तर-प्रदेश-226020,
दूरभाष नम्बर : 8400477299
neelamrakeshchandra@gmail.com