मातृदिवस विशेष
अतुल पाठक " धैर्य "
ये ज़मीं आसमां मुझे छोटे लगते,
तेरे किरदार सा नहीं बड़ा कोई माँ।
जहां तू होती है,
वहां खुशियां रहती हैं।
क्या धन क्या दौलत,
मां तुझसे ही होती घर-घर रौनक।
मुसीबत के बादलों ने कब-कब नहीं घेरा तुझको,
पर तूने हिम्मत कहाँ छोड़ी तू हौंसलों की झनकार है माँ।
ज़िन्दगी कभी जन्नत न होती,
ज़िन्दगी में गर माँ न होती।
दुनिया साथ छोड़ सकती है,
पर हर हालात में अपनी संतान का साथ छोड़ती न माँ।
माँ सा नहीं जग में कोई दूजा,
तू वन्दनीय है करूँ तेरी पूजा।
वो नसीब वाले होते हैं माँ होती जिसके पास,
कभी न होने देती माँ अपने बच्चों को उदास।
हर एक की माँ को नमन करूँ मैं,
स्वीकार करो माँ मेरा बारम्बार प्रणाम,
जिस घर में रहती माँ,
वो स्वर्ग ही लगता धाम।
स्वरचित/मौलिक रचना
रचनाकार-अतुल पाठक " धैर्य "
जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)